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चुनाव क्या आया, बिगड़ गई ज्योतिषियों की ग्रह दशा, जानिए कैसे

चुनाव क्या आया, बिगड़ गई ज्योतिषियों की ग्रह दशा, जानिए कैसे

March 13, 2019, 04:23 PM

हाल ही में चुनाव आयोग ने 17वीं लोकसभा के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी। कर्नाटक में लोकसभा की कुल सीटें 28 हैं जहां दो चरणों में चुनाव होंगे। पहले चरण का मतदान 18 अप्रैल और दूसरे चरण का मतदान 23 अप्रैल को होगा। इस राज्य में लोगों का हाथ देखकर भविष्य बताने वाले हस्तरेखा विशेषज्ञों और ज्योतिषियों को अपने परिवार को पालने वाले के लिए लोक सभा चुनाव 2019 भारी पड़ने वाला है। इस राज्य में चुनाव आयोग के ऑफिसर्स इन हस्तरेखा विशेषज्ञों के घर और ऑफिस पहुंच रहे हैं और इनके पब्लिसिटी बोर्ड व पोस्टरों पर बने हथेलियों के निशान को कवर कर रहे हैं। उन पर या तो पेंट कर रहे हैं, या कागजों से ढांक रहे हैं। इसका कारण यही है कि यह 'हथेली' कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिह्न है।

ज्योतिषियों ने इस कदम से सवाल उठाया है हैं कि अगर आप हथेलियों की तस्वीरें ढांक रहे हैं तो कमल, ट्रैक्टर, बाइसिकल, टॉर्च, पंखा, हाथी, हैंडपंप, शंख, दो पत्तियों जैसे दूसरे निशानों पर आपका क्या रुख है? डीएमके का चुनाव चिह्न उगता सूरज है तो क्या चुनाव आयोग चुनाव तक सूरज भी नहीं उगने देगा?

वोटिंग पूरी हो जाने तक हस्तरेखा विशेषज्ञों को हथेली के निशान को ढांकने के लिए निर्देश दिए गए हैं। हालांकि चुनाव आयोग की तरफ इस तरह की आचार संहिता को सिर्फ मंड्या सीट के दायरे में ही लागू किया गया है, हालांकि पूरे कर्नाटक के ज्योतिषियों के बीच डर है कि चुनाव आयोग के अधिकारी उनके घर या दफ्तर भी एक या दो दिन में पहुंच सकते हैं।

इन हस्तरेखा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे उनके व्यापार पर असर पड़ेगा क्योंकि हथेली के चिह्न ने होने से वे लोग उनके घर को लोकेट नहीं कर पाएंगे।

राजनीतिक पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे कैसे चुनाव आयोग हमें इस निशान का इस्तेमाल करने से रोक सकता है? क्या चुनाव आयोग सारी झीलों और तालाबों से कमल के फूल भी निकालेगा? वोटिंग पूरी होने तक कमल के फूलों की बिक्री रोकी जाएगी? हमने चुनाव आयोग से अपील की है कि इस तरह की कार्यवाही न करें बल्कि वोट के लिए जो लोग पैसे और अन्य चीजें बांटते हैं, उनकी करतूतों को रोकें।'

कर्नाटक कांग्रेस के मिलिंद धर्मसेना ने इस कदम को गैरजरूरी कहा है। उनके मुताबिक, 'हम आचार संहिता का आदर करते हैं, लेकिन आयोग को इस तरह की कार्यवाही को लेकर थोड़ी तार्किक और उदारता के आधार पर सोचना चाहिए।'

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