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कैलाश मानसरोवर पर भारत को बड़ी कामयाबी, चीन-नेपाल भी आए साथ

कैलाश मानसरोवर पर भारत को बड़ी कामयाबी, चीन-नेपाल भी आए साथ

May 16, 2019, 05:15 PM

भारत को कैलाश मानसरोवर के संरक्षण की दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है. यूनेस्को ने कैलाश भू-क्षेत्र को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने की दिशा में सहमति दी है और इसे अंतरिम सूची में भी शामिल किया है. प्रस्ताव के अनुसार, अब कैलाश को प्राकृतिक के साथ-साथ सांस्कृतिक श्रेणी की संरक्षित धरोहर का दर्जा दिया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन व नेपाल भी कैलाश मानसरोवर को यूनेस्को संरक्षित विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए यूनेस्को को प्रस्ताव भेज चुके हैं.मालूम हो कि कैलाश का 7120 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल भारत के हिस्से में आता है. जबकि चीन (तिब्बत) के हिस्से में 10,843 वर्ग किलोमीटर, नेपाल के हिस्से में 13,829 वर्ग किलोमीटर हिस्सा आता है. इस तरह कुल 31 हजार 252 वर्ग किलोमीटर यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया है. बताया जा रहा है कि यूनेस्को संरक्षित विश्व धरोहर का दर्जा मिलने के बाद कैलाश मानसरोवर ना केवल विकसित होगा बल्कि यहां यात्रा करना आसान होगा. इस बारे में डॉ. वीबी माथुर ने बताया कि यूनेस्को का कैटेगरी-2 सेंटर एशिया पैसिफिक क्षेत्र के देशों की प्राकृतिक धरोहरों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए काम करता है. इसी सेंटर ने कैलाश भूक्षेत्र को यूनेस्को में स्थान दिलाने के लिए काम किया है. साथ ही नेपाल की अंतरराष्ट्रीय संस्था इसीमोड और उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई. अब अंतरिम सूची में कैलाश को स्थान मिलने के बाद अब यहां एक साल तक विभिन्न स्तर पर काम होगा. इसके बाद मुख्य प्रस्ताव बनाकर यूनेस्को को भेजा जाएगा. 

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