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हेमा मालिनी: 15 साल का है बसंती का सियासी सफर, क्या फिर मथुरा से जीतेंगी ड्रीमगर्ल

हेमा मालिनी: 15 साल का है बसंती का सियासी सफर, क्या फिर मथुरा से जीतेंगी ड्रीमगर्ल

April 15, 2019, 12:24 PM

फिल्मी परदे से 2004 में सियासत में एंट्री करने वाली हेमा मालिनी दूसरी बार संसद में दाखिले में मथुरा से किस्मत आजमा रही हैं. 2014 में हेमा मथुरा से जीती थीं, लेकिन अबकी बार बसंती की जीत की राह थोड़ी कठिन है. हालांकि, हेमा मालिनी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. इस बार उनके लिए उनके पति धर्मेंद्र भी प्रचार कर रहे हैं. आइए जानते हैं सिनेस्टार, राइटर, डॉयरेक्टर, प्रॉड्यूसर और डांसर हेमा के राजनीतिक सफर के बारे में-

16 अक्टूबर 1948 को मद्रास स्टेट (तमिलनाडु) के अम्मांकुडी में जन्मीं हेमा ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत बतौर प्रचारक की थी. 1999 में हेमा ने पंजाब के गुरदासपुर से बीजेपी प्रत्याशी विनोद खन्ना के लिए प्रचार किया था. राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 2003 में हेमा मालिनी को राज्यसभा के लिए नामित किया था. 2003 से 2009 तक हेमा राज्यसभा की सदस्य रहीं. इस बीच 2004 में हेमा ने बीजेपी ज्वॉइन किया. 2011 में बीजेपी की महासचिव बनीं और बीजेपी प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करने लगीं.

2014 के चुनाव में बीजेपी ने हेमा को उत्तर प्रदेश की मथुरा सीट से उतारा. हेमा ने आरएलडी के जयंत चौधरी को 3,30,743 वोटों से हराया और पहली बार लोकसभा की सदस्य बनीं. इस बार फिर वह मैदान में हैं. उनके सामने महागठबंधन के प्रत्याशी नरेंद्र सिंह और कांग्रेस की ओर से महेश पाठक मैदान में हैं. अबकी बार भी बसंती की जीत पक्की करने के लिए उनके साथ वीरु यानी धर्मेद्र आ गए हैं. हेमा के साथ धर्मेंद्र ने भी जमकर चुनाव प्रचार किया. धर्मेंद्र और हेमा की हिट जोड़ी को देखने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा और चुनावी मंच से धर्मेंद्र ने हेमा के लिए बिलकुल फिल्मी स्टाइल में वोट मांगे.

पत्नी हेमामालिनी के लिए प्रचार में मुंबई से धर्मेंद्र दौड़े मथुरा पहुंच गए. बिल्कुल उसी तरह साथ निभाने- जैसे सिल्वर स्क्रीन के पर्दे पर साथ निभाते थे. सिल्वर स्क्रिन की इस सुपर हिट जोड़ी के बीच नजदीकियों का सिलसिला शुरू हुआ 1970 में आई फिल्म तुम हसीन, मैं जवां से. हेमामालिनी और धर्मेंद्र की जोड़ी को लोगों ने जमकर सराहा. फिल्म सीता और गीता फिर ये जोड़ी लोगों के बीच धमाल मचाने आ गई. एक ओर हेमामालिनी का खुबूसूरत चेहरा. दूसरी ओर धर्मेंद्र की एक सीधे-साधे और शरीफ नौजवान की छवि. हिंदुस्तान के दर्शकों को भाने लगी. फिल्म दर फिल्म धर्मेंद्र और हेमा के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी.

1975 में आई फिल्म शोले में एक ओर चुलबुली तांगा चलाने वाली बसंती यानी हेमामालिनी तो दूसरी ओर गब्बर सिंह जैसे डाकू से लोहा लेते वीरू यानी धर्मेंद्र. एक ओर सिल्वर स्क्रिन ने वीरू और बसंती को सुपर स्टार बना दिया तो असल जिंदगी में भी दोनों प्यार के सागर में गोते लगाने लगे. लेकिन, शादी के बंधन में बंधना आसान नहीं था. धर्मेंद्र जब हेमा के प्यार में पड़े, तब वो शादीशुदा थे. हेमा के पिता को ये बर्दाश्त नहीं था कि उनकी बेटी किसी शादीशुदा शख्स के शादी करे. ऐसे में हेमा ने आखिरकार अपने पिता की मौत के बाद यानी 1980 में धर्मेंद्र के साथ शादी की.

हेमा को उनके चाहनेवालों ने ड्रीमगर्ल का नाम दिया तो धर्मेंद्र को नई पहचान मिली हीमैन की. वक्त आगे बढ़ता रहा, किरदार बदलते गए. हेमा मालिनी सियासत में आ गईं. 2004 में हेमा ने राजनीति में एंट्री की और 2014 में वह मथुरा से सांसद बनीं. इस बार फिर वह मथुरा से मैदान में हैं. इस बार हेमा मालिनी का मुकाबला आरएलडी के टिकट से चुनाव लड़ रहे कुंवर नरेंद्र सिंह और कांग्रेस के महेश पाठक से है. मथुरा में चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय है. हेमा मालिनी को भी मालूम है कि एसपी बीएसपी और आरएलडी के साथ आने से जंग जबरदस्त हो गई है.

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