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तीन संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने का रास्ता साफ, राज्यसभा से भी मिली मंजूरी

तीन संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने का रास्ता साफ, राज्यसभा से भी मिली मंजूरी

March 16, 2020, 08:43 PM

देश के तीन संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने का रास्ता साफ हो गया है। दोनों सदनों से पास होने के बाद अब सिर्फ राष्ट्रपति की मंजूरी बाकी है। जिसके मिलते ही तीनों संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिल जाएगा। तीनों ही संस्थानों को अभी डीम्ड विश्वविद्यालय दर्जा प्राप्त है।

राज्यसभा में इस विधेयक को वैसे तो दो मार्च को ही पेश कर दिया गया था। लेकिन हंगामे के चलते बाद में इसे रोक दिया गया था। सोमवार को इस पर चर्चा फिर शुरु हुई। चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि वह सभी भाषाओं को मजबूती देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में काम भी कर रहे है। संस्कृत भाषा में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि देश में संस्कृत से हमारा जुड़ाव काफी पुराना है। मौजूदा समय में भी देश भर में करीब पांच करोड़ लोग किसी न किसी रूप में संस्कृत की पढ़ाई कर रहे है।

कांग्रेस और सपा के नेता भी चर्चा में हुए शामिल

चर्चा में कांग्रेस की ओर से जयराम रमेश, पीएल पूनिया, सपा के प्रोफेसर राम गोपाल यादव आदि ने हिस्सा लिया। जबकि भाजपा की ओर से अशोक बाजपेयी, सुब्रमण्यम स्वामी आदि ने हिस्सा लिया। डीएमके को छोड़कर सभी पार्टियों ने इस विधेयक का समर्थन किया। डीएमके ने इस विधेयक का यह कहते हुए विरोध किया कि यह तमिल के खिलाफ है। वहीं वाइको ने इसे मृत भाषा कहा।

दिसंबर 2019 में लोकसभा में पास हुआ था यह बिल

विधेयक के जरिए जिन तीन संस्थानों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मंजूरी दी है, उनमें राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान दिल्ली (स्थापना 1970 में), लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ दिल्ली (स्थापना 1962 में) और राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ तिरुपति (स्थापना 1961 में ) शामिल है। गौरतलब है कि लोकसभा से यह विधेयक शीतकालीन सत्र में 12 दिसंबर 2019 को ही पारित हो गया था।

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